भारत की चार धाम यात्रा कैसे करें

भारत की चार धाम यात्रा : ये हैं भारत के मुख्य चार धाम

भारत की चार धाम यात्रा कैसे करें


भारत की चार धाम यात्रा, भारत, जिसे विश्व का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। यहां के अनगिनत तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इन तीर्थ स्थलों में से चार मुख्य तीर्थ स्थल हैं, जो भारत देश के चारों दिशाओं में स्थित हैं, जिन्हें चार धाम के नाम से जानते हैं। चार धाम यात्रा एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित धार्मिक यात्रा है, जिसमें चार पवित्र तीर्थ स्थलों का दर्शन किया जाता है। इन चार प्रमुख तीर्थ स्थलों के नाम हैं - बद्रीनाथ (उत्तराखंड), जगन्नाथ पुरी (ओडिशा), रामेश्वरम (तमिलनाडु) और द्वारिका (गुजरात)। यह यात्रा धार्मिकता को महसूस करने और आत्मा को शुद्ध करने का एक मार्मिक अनुभव कराती है। यह पौराणिक यात्रा हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस लेख में, हम आपको चार धाम यात्रा कैसे करें के बारे में बताएंगे।

चार धाम यात्रा में दो प्रकार की चार धाम यात्रा शामिल है। पहली छोटी चार धाम यात्रा दूसरी बड़ी चार धाम यात्रा। कुछ लोग यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को चार धाम की यात्रा मानते हैं, लेकिन यह यात्रा एक ही धाम कहलाती है। इस उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को छोटी चार धाम की यात्रा कहा जाता है। लोग छोटी चार धाम यात्रा को ही ज्यादा महत्व देते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में बड़ी चार धाम यात्रा का सबसे ज्यादा महत्व है।

बड़ी चार धाम यात्रा की नीव आठवीं शताब्दी में श्री शंकराचार्य जी ने रखी थी।

भारत की चार धाम यात्रा की शुरुआत सबसे पहले बद्रीनाथ (उत्तराखंड) से होती है, जो भारत के उत्तर दिशा में स्थित है, फिर जगन्नाथ पुरी (ओडिशा) जो भारत के पूर्व दिशा में स्थित है, उसके बाद रामेश्वरम (तमिलनाडु) जो भारत के दक्षिण दिशा में स्थित है और अंत में द्वारिका (गुजरात) जो भारत के पश्चिम दिशा में स्थित है। द्वारिका में पहुंचकर यह यात्रा समाप्त हो जाती है। इसमें तीन धाम जो (बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका) भगवान श्री हरी विष्णु को समर्पित हैं। और रामेश्वरम भगवान शिव को समर्पित है। चार धाम यात्रा करने के पश्चात मनुष्य का जीवन सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। 

हिंदू धर्म में प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए। 

भारत की (बड़ी) चार धाम यात्रा की शुरुआत बद्रीनाथ से की जाती है। बद्रीनाथ धाम के कपाट सिर्फ 6 महीने के लिए ही खुले रहते हैं। अप्रैल - मई से अक्टूबर - नवंबर तक ही खुले रहते हैं। अन्य धामों के कपाट पूरे साल खुले रहते हैं। आइए सबसे पहले बद्रीनाथ की यात्रा कैसे करें के बारे में जानते हैं।


1• बद्रीनाथ की यात्रा (उत्तराखंड)

भारत की चार धाम यात्रा कैसे करें

बद्रीनाथ एक धार्मिक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो भारत देश के उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर के सामने नीलकंठ पर्वत चोटी स्थित है। बद्रीनाथ धाम, चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जिसमें हिंदू धर्म के अनुयाई बद्रीनाथ के मंदिर में जाते हैं। बद्रीनाथ के मंदिर में मूर्ति के रूप में भगवान विष्णु की प्रतिमा है। जिसे शालिग्राम शिला के रूप में पूजा जाता है। बद्रीनाथ के आस- पास अनेक प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थल भी हैं। जैसे मन गांव, व्यास गुफा, चरण पादुका, तप्त कुंड, फूलों की घाटी आदि। सभी स्थलों की सैर आप यात्रा के दौरान कर सकते हैं।

बद्रीनाथ कैसे पहुंचे

बद्रीनाथ पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार पहुंचना है। हरिद्वार पहुंचने के लिए आप देश के किसी भी कोने से बस या ट्रेन से बड़े आसानी से आप हरिद्वार पहुंच सकते हैं। ट्रेन से उतरने के बाद रेलवे स्टेशन के बाहर आपको बस स्टैंड मिल जाएगा। बस स्टैंड से बस पकड़ कर आप हरिद्वार से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं, तो आपको देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचना होगा, जहां से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 305 किलोमीटर है।

देहरादून से बद्रीनाथ जाने के लिए आपको डायरेक्ट बस मिल जाएगी। हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 320 किलोमीटर है और इस यात्रा को कंप्लीट करने के लिए लगभग 10 से 12 घंटे का समय लगता है। अगर आप इस यात्रा को हरिद्वार से बद्रीनाथ तक बस से पूरा करना चाहते हैं तो आपको हरिद्वार बस स्टैंड से बद्रीनाथ के लिए सुबह 5:00 बजे बस मिल जाएगी।

बद्रीनाथ में रुकने की क्या-क्या व्यवस्था है

बद्रीनाथ में आप दो तरीके से रुक सकते हैं। सबसे सस्ता विकल्प यह है, कि वहां बहुत सारे आश्रम बने हुए हैं। जहां पर आपको ₹200 से लेकर ₹300 तक रात को रुकने के लिए रूम मिल जाते हैं। यहां पर GMVN का यात्री निवास बना हुआ है। इसकी बुकिंग आप वहां पर पहुंच कर भी कर सकते हैं, लेकिन ज्यादा भीड़ होने पर हो सकता है, वहां पर रूम खाली ना हो। इसलिए अगर आप बद्रीनाथ की यात्रा करना चाहते हैं और कम पैसों में GMVN के रूम में रहना चाहते हैं, तो आप www.gmvnonline.com पर जाकर अपनी ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। इसके अलावा बद्रीनाथ में बहुत सारे होटल बने हुए हैं। अगर आप पीक सीजन में जाते हैं, तो यहां पर आपको 1500 रुपए से लेकर ₹4000 तक के रूम मिल जाते हैं। अगर आप ऑफ सीजन में जाते हैं, तो आपको ₹800 से लेकर ₹1500 तक के रूम मिल जाते हैं।

बद्रीनाथ यात्रा करने के लिए अच्छा समय

बद्रीनाथ यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय होता है सितंबर और अक्टूबर के महीने का, क्योंकि इस समय बहुत कम भीड़ होती है और आप बहुत कम पैसों में बद्रीनाथ की यात्रा कर सकते हैं। बद्रीनाथ का पीक सीजन मई और जून के महीने का होता है, क्योंकि बहुत से भक्त बद्रीनाथ के दर्शन के लिए मैं और जून के महीने में ही जाते हैं और पहाड़ों पर भूस्खलन की वजह से तीन से चार दिन का लंबा जाम लग जाता है। इसलिए आपको इन महीनों में बद्रीनाथ की यात्रा नहीं करनी चाहिए।

बद्रीनाथ धाम के दर्शन कैसे करें

जो लोग बाबा केदारनाथ के दर्शन करके बद्रीनाथ के दर्शन करने जाते हैं, वह लोग बहुत ही थके हुए होते हैं और जब वह बद्रीनाथ पहुंचते हैं, तो वे लोग डरने लगते हैं, कि कहीं ज्यादा पैदल न चलना पड़े केदारनाथ की तरह। आप जहां भी बद्रीनाथ में होटल लेते हैं, वहां से बद्रीनाथ मंदिर 500 मीटर की दूरी पर है। होटल से मंदिर तक का रास्ता बिल्कुल समतल और प्लेन है। बद्रीनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सिर्फ 5 मिनट का समय लगता है। मंदिर पर पहुंचने के बाद वहां पर एक तप्त कुंड है, जो गर्म पानी का कुंड है। इस तत्व कुंड में नहाने से आपके शरीर में जितनी भी थकान है, वह सारी दूर हो जाएगी। मंदिर का दर्शन करने से पहले आपको स्नान करना बहुत ही जरूरी होता है।

बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद आपको जाना है ब्रह्म कपाल, ब्रह्म कपाल वह स्थान है, जहां पर लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं।


बद्रीनाथ के आस- पास घूमने की जगह

बद्रीनाथ मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर भारत का अंतिम गांव है। इस गांव में जाकर आप वहां तीन से चार जगह घूम सकते हैं। यहां पर आपको व्यास गुफा, गणेश गुफा, भीम पुल, सरस्वती माता मंदिर आदि स्थलों में घूम सकते हैं।

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2• जगन्नाथ पुरी की यात्रा (उड़ीसा)

भारत की चार धाम यात्रा कैसे करें

जगन्नाथ पुरी भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है। यहां पर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। इस मंदिर में जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की पूजा की जाती है।

जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचे

जगन्नाथ मंदिर का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन, पुरी रेलवे स्टेशन है, जो देश की लगभग सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। अगर आपको पूरी रेलवे स्टेशन के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिल रही है, तो आप अपने शहर से भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं। उसके बाद आप भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से दूसरी ट्रेन पड़कर या बस से पूरी पहुंच सकते हैं।

पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 3.5 किलोमीटर है। आप जैसे ही पुरी रेलवे स्टेशन के बाहर आएंगे तो आपको ऑटो मिल जायेंगे। अगर आप पर्सनल ऑटो करके नहीं जाना चाहते हैं, तो आप रेलवे स्टेशन से 100 मीटर दूर चल कर शेयरिंग टैक्सी भी ले सकते हैं। रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी पकड़कर आप सिंह द्वार उतर जाए। वहां से मंदिर की दूरी 200 मीटर रह जाती है। यहां से आप पैदल भी आ सकते हैं या शेयरिंग टैक्सी से भी जा सकते हैं।

फ्लाइट से जगन्नाथपुरी मन्दिर जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर एयरपोर्ट है, जहां से जगन्नाथ मंदिर की दूरी लगभग 61 किलोमीटर है। जगन्नाथ मंदिर जाने के लिए आप भुवनेश्वर एयरपोर्ट से बस, टैक्सी, ट्रेन किसी से भी जा सकते हैं।

जगन्नाथपुरी में रुकने की व्यवस्था क्या-क्या है

जगन्नाथपुरी में रुकने के लिए आपके पास चार विकल्प है। पहला मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्त निवास, दूसरा धर्मशाला, तीसरा प्राइवेट होटल, चौथा है पुरी का मरीन ड्राइव। आप अपने बजट के हिसाब से इन चारों विकल्पों में से किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं।

जगन्नाथ मंदिर में दर्शन कैसे करें

मंदिर में दर्शन करने से पहले मंदिर के ही परिसर में आपको अपने सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और जूता चप्पल एक लोकर में रखना पड़ता है, जो कि ये लोकर सभी भक्तों के लिए एकदम फ्री हैं। इसके बाद आप जय जगन्नाथ का नारा लगाते हुए आप सिंह द्वार से मंदिर की और जा सकते हैं। वहीं अगर मंदिर में ज्यादा भीड़ न रही तो आप 30 मिनट में दर्शन करके बड़े आराम से बाहर आ सकते हैं। अगर आप भीड़ की सीजन में जा रहे हैं तो आपको दर्शन करने के लिए एक से दो घंटे लाइन में खड़ा होना पड़ सकता हैं। एक बात आपको ध्यान रखनी है कि आपको दर्शन करने के लिए मंदिर के अंदर किसी को भी पैसे नहीं देने हैं। मंदिर में दर्शन करने के बाद आपको मंदिर के परिसर में ही जगन्नाथ जी का ₹100 में प्रसाद मिल जाएगा।

जगन्नाथ पुरी जाने का सबसे अच्छा समय

जगन्नाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है क्योंकि यह मंदिर समुद्र के किनारे पर स्थित है इसलिए गर्मी के समय में इस मंदिर में घूमने के लिए आपको बहुत ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ सकता है और अगर आप इस मंदिर में आषाढ़ के महीने में घूमने आते हैं, तो आपको यहां रथ यात्रा भी देखने को मिल जाएगी।

जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा कब निकाली जाती है

उड़ीसा राज्य में जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा एक भव्य महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए भारत के अलग-अलग क्षेत्र से और विदेशों से भी काफी संख्या में लोग यहां आते हैं। यह रथ यात्रा भारत में मानसून के दौरान आयोजित की जाती है।

जगन्नाथ पुरी के आस- पास घूमने की जगह

सबसे पहले आपको यहां चंद्रभागा बीच जाना चाहिए। यहां पर आपको एडवेंचर एक्टिविटी एंजॉय करने का मौका मिलेगा। इसके बाद आपको कोणार्क मंदिर, लिंगराज मंदिर, उदयागिरी हिल्स, मुक्तेश्वर मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क और चिल्का झील भी घूम सकते हैं और यहां की घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह है पुरी की बीच, जो जगन्नाथ मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


 जगन्नाथ पुरी से चिल्का झील की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झीलों में से एक है। इस झील में कई द्वीप है। और यह झील डॉल्फिन, जलीय वनस्पतियों, जीव जंतुओं और कई तरह के पक्षियों के आकर्षक नजारों के लिए जानी जाती है।

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3• रामेश्वरम की यात्रा (तमिलनाडु)

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भगवान शिव का यह मंदिर भारत के दक्षिण मैं रामेश्वरम दीप पर स्थित है। माना जाता है कि रावण को मारने के बाद रावण की हत्या से दोष मुक्त होने के लिए श्री राम ने यहां पर भगवान शिव की पूजा की थी और इनकी मूर्ति हनुमान जी कैलाश से लाए थे।

रामेश्वरम कैसे पहुंचे

रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु राज्य के पूर्वी हिस्से में स्थित सबसे अंतिम छोर पर है। रामेश्वरम पहुंचने के लिए आपके पास तीन विकल्प है। पहला विकल्प है ट्रेन, ट्रेन से भी आप रामेश्वरम आ सकते हैं। अगर आप ट्रेन से रामेश्वरम आना चाहते हैं, तो रामेश्वरम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वरम रेलवे स्टेशन है। अगर आपके शहर से रामेश्वरम के लिए डायरेक्ट ट्रेन आ रही है तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन आपको रामेश्वरम के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिल रही है, तो आप मदुरई रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। मदुरई से रामेश्वरम की दूरी लगभग 170 किलोमीटर है और अगर आप अपनी यात्रा ट्रेन से पूरी करते हैं, तो भारत के सबसे लंबे समुद्र पुल, जिसका नाम है पंबन ब्रिज, आप उस ब्रिज के ऊपर इंजॉय कर सकते हैं, क्योंकि मदुरई और चेन्नई के बीच चलने वाली ट्रेन पंबन ब्रिज से होकर ही रामेश्वरम पहुंचती है।

फ्लाइट से रामेश्वरम पहुंचने के लिए, रामेश्वरम के निकट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मदुरई एयरपोर्ट है, जहां से रामेश्वरम की दूरी लगभग 170 किलोमीटर है। मदुरई से आप बस या टैक्सी के माध्यम से रामेश्वरम आसानी से जा सकते हैं।

रामेश्वरम में रहने की व्यवस्था

रामेश्वरम में रुकने के लिए तीन विकल्प हैं। पहला विकल्प है धर्मशाला, रामेश्वर मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की रेंज में बहुत सारे धर्मशाला बने हुए हैं, जिसका 24 घंटे का कराया मात्र ₹250 से लेकर ₹300 तक होता है। आप अगर कम खर्चे में रामेश्वरम मंदिर के आसपास रहना चाहते हैं, तो धर्मशाला में ठहरना सबसे अच्छा विकल्प है। दूसरा विकल्प है ट्रस्ट की तरफ से बने हुए रूम। आप रामेश्वरम मंदिर की तरफ से ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध कराए गए रूमों में भी रह सकते हैं। इन रूम का किराया करीबन ₹500 होता है। तीसरा विकल्प है प्राइवेट होटल। अगर आप धर्मशाला या ट्रस्ट की तरफ से बने हुए रूम में नहीं रहना चाहते हैं तो आप प्राइवेट होटल में भी रह सकते हैं यह होटल रामेश्वरम मंदिर के आसपास बने हुए हैं।

रामेश्वरम मंदिर के आस- पास घूमने की जगह

रामेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद आप पंचमुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जी की एक बहुत बड़ी मूर्ति के दर्शन करने को मिलेंगे। दूसरी जगह है श्री एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल। यहीं पर कलाम जी को उनकी मृत्यु के बाद दफनाया गया था। यहां पर जाकर आप उनको श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। तीसरा है साक्षी हनुमान मंदिर। यह रामेश्वरम मंदिर के परिसर से करीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर है। चौथा है नंबू नायगी मंदिर। यह मंदिर पार्वती माता का है। कहा जाता है कि जिन्हें संतान प्राप्ति में परेशानी होती है, वह लोग इस मंदिर में अवश्य जाते हैं। जिससे उन लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है। आप यहां जाकर माता पार्वती के दर्शन कर सकते हैं। पांचवा धनुष्कोड़ी है। यहां पर आपको आने के दूसरे दिन जाना चाहिए। यह रामेश्वरम से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां पर रामायण काल में बानरों के द्वारा श्रीलंका के लिए पत्थरों के पुल का निर्माण किया गया था। धनुषकोडी पहले रेलवे स्टेशन हुआ करता था लेकिन सुनामी के बाद यहां पर सब ध्वस्त हो गया था। यहां पर भी स्नान करना पवित्र माना जाता है।

रामेश्वरम मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित है, जहां पर गर्मी के मौसम में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है। इसीलिए अगर आप मध्य भारत से जुड़े हुए हैं, तो आप गर्मियों के मौसम में रामेश्वरम मंदिर जाने का प्लान ना करें। अगर आप रामेश्वरम मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च के बीच में जाएं, ताकि आपको मौसम से संबंधी कोई परेशानी ना हो सके।

4• द्वारका की यात्रा (गुजरात)

भारत की चार धाम यात्रा कैसे करें

यह मंदिर द्वारकाधीश मंदिर के नाम से विश्व प्रसिद्ध है। द्वारकाधीश मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है और इस मंदिर को मोक्ष पुरी मंदिर भी कहा जाता है। द्वारका मंदिर चारों धामों में से एक पवित्र धाम है। जोकि भारत के समुद्र से लगे गुजरात राज्य में स्थित है। यहां पर देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और द्वारका धाम के दर्शन करते हैं। गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक धाम और पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारकापुरी। यहां पर दो द्वारिका का है एक है गोमती द्वारका दूसरी है भेंट द्वारका।

• द्वारिका कैसे पहुंचे

द्वारिका पहुंचने के लिए आपके पास तीन मार्ग हैं। पहला है ट्रेन मार्ग, अगर आप ट्रेन से द्वारका जाना चाहते हैं तो आपको द्वारका रेलवे स्टेशन उतरना पड़ेगा। आप अपने शहर से द्वारका के लिए डायरेक्ट ट्रेन पकड़ के आ सकते हैं। अगर आपके शहर से द्वारका के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं है तो आप उसकी नजदीकी रेलवे स्टेशन राजकोट आ सकते हैं। यहां से आपको द्वारिका रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन मिल जाएगी और आप यहां से द्वारका आसानी से पहुंच जाएंगे। अगर आपको राजकोट रेलवे स्टेशन के लिए भी ट्रेन नहीं मिल रही है, तो यहां का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन अहमदाबाद रेलवे स्टेशन है। अहमदाबाद रेलवे स्टेशन से आपको द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए आसानी से ट्रेन मिल जाएगी और आप आसानी से द्वारका पहुंच सकते हैं।

बस से द्वारका पहुंचने के लिए अहमदाबाद से राजकोट होते हुए द्वारका आ सकते हैं। अगर आप किसी और जगह से आ रहे हैं, तो आपको सबसे पहले अहमदाबाद पहुंचना होगा। अहमदाबाद पहुंचने के बाद आपको यहां पर बहुत सारी बसें द्वारका के लिए मिल जाएगी, जो आपको 8 से 10 घंटे में द्वारिका पहुंचा देगी। या आप अहमदाबाद वा राजकोट दोनों में से किसी भी जगह से द्वारका के लिए बस ले सकते हैं।

फ्लाइट से द्वारका पहुंचने के लिए यहां के नजदीकी एयरपोर्ट पोरबंदर एयरपोर्ट पर आना पड़ेगा। पोरबंदर एयरपोर्ट से द्वारका धाम की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है।

द्वारिका में रुकने की जगह

यहां पर भी आपके पास रुकने के लिए तीन विकल्प हैं। पहला ऑप्शन धर्मशाला है। यह धर्मशाला मंदिर परिसर के आसपास ही हैं, जिनका एक रात का किराया प्रति व्यक्ति लगभग ₹300 से लेकर ₹500 तक है। अगर आपका बजट कम है, तो आप इन धर्मशाला में रुक सकते हैं। दूसरा ऑप्शन गेस्ट हाउस है। द्वारकाधीश ट्रस्ट का अपना एक गेस्ट हाउस भी है, जिसमें आप चाहे तो रुक सकते हैं। इसका प्रति व्यक्ति किराया लगभग ₹500 से लेकर ₹700 तक है। तीसरा ऑप्शन प्राइवेट होटल का है। प्राइवेट होटल का चार्ज प्रति व्यक्ति लगभग ₹700 से लेकर ₹1000 तक है।

भोजन करने के लिए द्वारकाधीश मंदिर के पास मंदिर की समिति की तरफ से एक भोजन प्रसाधालय भी है। जहां पर आप ₹30 देकर भरपेट भोजन कर सकते हैं। यहां पर भोजन करने का समय दिन में 10:00 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक रहता है और शाम को 6:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक रहता है।

द्वारकाधीश में दर्शन कैसे करें

भोजन खाने और आराम करने के बाद मंदिर के पीछे की साइड में एक बड़ा सा समुद्र तट पर घाट बना हुआ है, जिसका नाम है गोमती घाट। ऐसा माना जाता है की मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहां पर स्नान करना अनिवार्य होता है, तभी मंदिर में दर्शन करना शुभ माना जाता है। गोमती घाट पर स्नान करना इसलिए पवित्र माना जाता है, क्योंकि यहां पर गोमती और समुद्र का संगम है, यहीं पर नदी के किनारे गोमती माता का मंदिर बना हुआ है। आप नदी में स्नान करने के बाद गोमती माता मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं। द्वारिका मंदिर में जाने से पहले आपको अपना सारा इलेक्ट्रॉनिक सामान एक लॉकर में जमा करना पड़ता है। अगर आप भीड़ में दर्शन करने जाते हैं, तो आपको 1 से 2 घंटे लगा सकते हैं,लेकिन अगर आप खाली समय में जाते हैं, तो हो सकता है आपको 20 मिनट में ही द्वारकाधीश जी के दर्शन करने को मिल जाए।

द्वारिका जी के दर्शन करने के लिए सही समय

द्वारकाधीश जी के दर्शन करने के लिए सर्दियों का समय सबसे उचित रहेगा। इस समय यहां पर भीड़ काफी कम होती है। आप यहां पर अक्टूबर से लेकर मार्च तक यहां पर दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।

द्वारिका में घूमने की जगह

द्वारका में घूमने के लिए पहला स्थान पंचनंद तीर्थ है, जो कि मंदिर परिसर के ठीक पीछे, जो गोमती घाट है, वहीं पर एक सुदामा सेतु ब्रिज है, जो की एक केवल ब्रिज बना हुआ है। इसके माध्यम से आप गोमती नदी घाट को पार करके उस पार जाना है। पुल से गुजरने के लिए आपको एक टोकन लेना पड़ता है, जो की एक व्यक्ति के लिए ₹10 का है। पुल पार करने के बाद पंचनंद तीर्थ की तरफ जाएंगे। पंचनंद तीर्थ में जाकर सबसे पहले हमें पांचो कुंडों के जल का स्वाद लेना है। पंचनंद तीर्थ में पांचों पांडवों के नाम कुंड बनाए गए हैं। इन कुंडों के पानी का स्वाद अलग-अलग है। पंचनंद तीर्थ के पास वहां पर एक लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर है, वहां जाकर आप माथा टेकें और दर्शन करें। अगला स्थान गोपी तालाब है। यह वही तालाब है, जहां पर भगवान श्री कृष्णा गोपियों के साथ रासलीला खेलते थे। गोपी तालाब के पास श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है। मंदिर परिसर के अंदर भोलेनाथ की मूर्ति है। यहां से ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए आगे बढ़िए। द्वारकाधीश मंदिर से 30 किलोमीटर की दूरी पर भेंट द्वारका स्थित है। यहां पर जाने के लिए आप बोट (नाव) से जा सकते हैं, क्योंकि भेंट द्वारका समुद्र में एक टापू पर स्थित है। इसको भेंट द्वारका इसलिए कहा जाता है, कि भगवान श्री कृष्ण के मित्र सुदामा से उनकी पहली मुलाकात यहीं पर हुई थी। इसलिए इस जगह का नाम भेंट द्वारका रखा गया। भेंट द्वारका में एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद या आप ऑटो भी ले सकते हैं। भेंट द्वारका में पांच मंदिर है पहला मंदिर भगवान श्री कृष्ण का है, दूसरा मंदिर सत्यभामा मंदिर है, तीसरा राधा जी का मंदिर है, चौथ जामवंती माता का मंदिर है और पांचवा रूकमणि माता का मंदिर है।

चार धाम यात्रा करने में कितना समय लगेगा और कुल कितना खर्च आएगा

आपकी चार धाम यात्रा लगभग 15 दिन और 14 रात में खत्म होगी और इस यात्रा को करने में आपको लगभग ₹45000 से ₹50000 प्रति व्यक्ति लग सकते हैं।











 


SUMIT KUMAR

My name is Sumit Kumar. My graduation completed in 2012. I live in Lucknow. I do blogging along with farming .

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